राजस्थान के लोक देवता गोगाजी
राजस्थान के लोक देवता गोगाजी
राजस्थान के लोक देवता
गोगाजी ( गोगा बप्पा ) (11 वीं शताब्दी):-
चैहान वंषीय राजपूत , जन्म
स्थान चुरू का ददरेवा
गांव में हुआ।
पिता जेवरसिंह एवं माता
बाछल देवी।
लगभग 1103 ई. सन् में मेहमूद
गजनवी से गायों की रक्षा
करते हुए वीरगती को
प्राप्त हुए।
गजनवी ने इन्हें ‘‘जाहरपीर ’’ की
संज्ञा दी।
इन्हे सांपो के देवता
के नाम से जाना जाता हैं।
किसानों के द्वारा पहली
बार हल जोतने पर हल और
हाली को इनके नाम की
राखी बांधी जाती
हैं जिसे ‘‘गोगाराखड़ी
’’ कहते हैं।
इनका थान खेजड़ी
के वृक्ष के नीचे होता है।
इनका मेला
भाद्रपद कृष्णपक्ष की नवमी
को गोगामेड़ी में भरता हैं।
इनका प्रतीक चिन्ह नीली
घोड़ी है।
गोगाजी की ओल्ड़ी
जालौर ( सांचैर ) में हैं।
गोगाजी के अन्य मन्दिर :-
गुजरात , राजस्थान , पंजाब एवं
हरियाणा में हैं।
धूरमेड़ी:- गोगाजी का
समाधिस्थल जो गोगामेड़ी
( हनुमानगढ़ ) में स्थित हैं।
शीर्षमेड़ी:- गोगाजी का
जन्मस्थान जो ददरेवा
में स्थित हैं।
गोगाजी ( गोगा बप्पा ) (11 वीं शताब्दी):-
चैहान वंषीय राजपूत , जन्म
स्थान चुरू का ददरेवा
गांव में हुआ।
पिता जेवरसिंह एवं माता
बाछल देवी।
लगभग 1103 ई. सन् में मेहमूद
गजनवी से गायों की रक्षा
करते हुए वीरगती को
प्राप्त हुए।
गजनवी ने इन्हें ‘‘जाहरपीर ’’ की
संज्ञा दी।
इन्हे सांपो के देवता
के नाम से जाना जाता हैं।
किसानों के द्वारा पहली
बार हल जोतने पर हल और
हाली को इनके नाम की
राखी बांधी जाती
हैं जिसे ‘‘गोगाराखड़ी
’’ कहते हैं।
इनका थान खेजड़ी
के वृक्ष के नीचे होता है।
इनका मेला
भाद्रपद कृष्णपक्ष की नवमी
को गोगामेड़ी में भरता हैं।
इनका प्रतीक चिन्ह नीली
घोड़ी है।
गोगाजी की ओल्ड़ी
जालौर ( सांचैर ) में हैं।
गोगाजी के अन्य मन्दिर :-
गुजरात , राजस्थान , पंजाब एवं
हरियाणा में हैं।
धूरमेड़ी:- गोगाजी का
समाधिस्थल जो गोगामेड़ी
( हनुमानगढ़ ) में स्थित हैं।
शीर्षमेड़ी:- गोगाजी का
जन्मस्थान जो ददरेवा
में स्थित हैं।
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