राजस्थान के लोक देवता रामदेव जी

 राजस्थान के लोक देवता रामदेव जी

   बाबा रामदेव जी

  • जन्म- उपडुकासमेर/ उण्डु कासमेर गाँव,  शिव तहसील (बाड़मेर) में हुआ।
  •  बाबा रामदेव जी का जन्म भाद्रशुक्ल दूज (बाबेरी बीज) को हुआ।
  •  रामदेव जी तवंर वंशीय राजपूत थे।
  • पिता का नाम अजमल जी व माता का नाम मैणादे था।
  •  पत्नी- नैतलदे
  • बहन- सुगना
  •  विवाह – अमर कोट (पाकिस्तान) मे सौढ़ा दलैसिंह की पुत्री  ” नैतल दै ” के साथ हुआ
  • उपनाम :-रामसापीर, रुणेचा रा धणी, बाबा रामदेव व पीरो के पीर
  • रामदेव जी हिन्दू तथा मुसलमान दोनों में ही समान रूप से लोकप्रिय है।
  • मुस्लिम इन्हे रामसापीर के नाम से पुकारते है।
  •  इनकी ध्वजा, नेजा कहताली हैं
  •  नेजा सफेद या पांच रंगों की होती हैं
  •  बाबा राम देव जी एकमात्र लोक देवता थे, जो कवि भी थे।
  • राम देव जी की रचना "चौबीस बाणियाँ" कहलाती है।
  •  रामदेव जी का प्रतीक चिन्ह "पगल्ये"  (पत्थर पर उत्कीर्ण रामदेवजी के प्रतीक के रूप में दो पैर)
है।
  •   राजस्थान का यह एकमात्र लोक देवता है जिनकी पूजा इनके पद् चिन्ह/पगल्यो के रूप में की जाती है।
  • इनके लोकगाथा गीत ब्यावले कहलाते हैं।
  •  सभी लोक देवताओं मे सबसे लम्बा गीत रामदेव जी का ही है।
  •  इनके मेघवाल भक्त "रिखिया " कहलाते हैं
  • "बालनाथ" जी इनके गुरू थे।
  • रामदेवजी के मंदिर को देवरा कहा जाता है।
  •  प्रमुख स्थल- रामदेवरा  (रूणेचा), , पोकरण तहसील (जैसलमेर)  मसुरिया पहाडी (जोधपुर) , बिरांतिया खुर्द (पाली) , सुरतखेड़ा (चित्तोड़) एवं छोटा रामदेवरा (गुजरात)  बिराठिया (अजमेर)
  • राम देव जी का मेला भाद्र शुक्ल दूज से भाद्र शुक्ल एकादशी तक रामदेवरा (रूणेचा), जैसलमेर में  भरता है।
  •  रामदेवजी का मेला राजस्थान का सबसे बड़ा मेला है।
  •  रामदेवजी का मेला साम्प्रदायिक सदभावना हेतु विश्व प्रसिद्ध है।
  •  मेले का प्रमुख आकर्षण " तरहताली नृत्य" होता हैं।
  •  तेरहताली नृत्य कामड़ सम्प्रदाय की महिलाओं द्वारा किया जाता है।
  • तेरहताली नृत्य की उत्पती पाली जिले के पादरला गाँव में हुई है।
  •  मांगी बाई (उदयपुर) व दुर्गाबाई तेरहताली नृत्य की प्रसिद्ध नृत्यागना है।
  • तेरहताली नृत्य व्यावसासिक श्रेणी का नृत्य है।
  •  राजस्थान में कामड़ पंथियों का प्रमुख स्थान पादरला गाँव (पाली) है तथा इसके अलावा पोकरण (जैसलमेर) व डीडवाना (नागौर) में भी कामड़ पंथी निवास करते है।
  • रामदेव जी श्री कृष्ण के अवतार माने जाते है।
  •   रामदेवजी के पेदल तीर्थ यात्रीयो को "जातरू" कहां जाता है।
  •  जातिगत छुआछूत व भेदभाव को मिटाने के लिए रामदेव जी ने "जम्मा जागरण " अभियान चलाया।
  •  इनके घोडे़ का नाम "लीला" था  इसीलिए इन्हें लाली रा असवार भी कहते हैं।
  • रामदेव जी ने मेघवाल जाति की "डाली बाई" को अपनी बहन बनाया।
  • इनकी फड़ का वाचन मेघवाल जाति या कामड़ पथ के लोग करते है।
  • रामदेव जी की फड़ रावण हत्था नामक वाद्ययंत्रा के साथ बाँची जाती है।
  • इन्होने कामड़ पंथ की स्थपना की।
  • समाधि – राम सरोवर पाल (रूणेचा, जैसलमेर) भाद्रपद शुक्ला एकादशी (1458र्इ.) 1931 र्इ. रामदेव जी की समाधि पर बीकानेर महाराजा, गंगासिंह ने मंदिर बनवाया।यह एकमात्र लोकदेवता थे जिन्होनें जीवित समाधि ली
  •    रामदेवजी के समाधि स्थल पर उनसे पहले उनकी मुहबोली बहन डाली बाई ने समाधि ली थी।
  •     मक्का से आये पीरों के कहा “हम तो केवल पीर है आप तो पीरों के भी पीर है।”
   
       

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