ALL CURRENT AFFAIRS GK
संदेश
2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
राजस्थान के लोक देवता हड़बूजी
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
राजस्थान के लोक देवता हड़बूजी यह पंच पीरो में से एक पीर है। इनका जन्म भूंडले (नागौर) में मेहाज साँखला के घर हुआ। इनके मौसेरे भाई रामदेवजी की प्रेरणा से बालीनाथ को अपना गुरू बनाया। ये एक अच्छे योगी, शकुनशास्त्र के ज्ञाता, सन्यासी व योद्धा थे, इनका मुख्य पूजा स्थल बेंगटी (फलौदी, जोधपुर) में है। इनके मंदिर में ‘‘इनकी गाड़ी की पूजा’’ की जाती है, जिसमें ये गायो के लिए चारा लेकर आते हैं। अगर मेरी पोस्ट अच्छी लगी तो शेयर जरूर करें
राजस्थान के लोक देवता रामदेव जी
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
राजस्थान के लोक देवता रामदेव जी बाबा रामदेव जी जन्म- उपडुकासमेर/ उण्डु कासमेर गाँव, शिव तहसील (बाड़मेर) में हुआ। बाबा रामदेव जी का जन्म भाद्रशुक्ल दूज (बाबेरी बीज) को हुआ। रामदेव जी तवंर वंशीय राजपूत थे। पिता का नाम अजमल जी व माता का नाम मैणादे था। पत्नी- नैतलदे बहन- सुगना विवाह – अमर कोट (पाकिस्तान) मे सौढ़ा दलैसिंह की पुत्री ” नैतल दै ” के साथ हुआ उपनाम :-रामसापीर, रुणेचा रा धणी, बाबा रामदेव व पीरो के पीर रामदेव जी हिन्दू तथा मुसलमान दोनों में ही समान रूप से लोकप्रिय है। मुस्लिम इन्हे रामसापीर के नाम से पुकारते है। इनकी ध्वजा, नेजा कहताली हैं नेजा सफेद या पांच रंगों की होती हैं बाबा राम देव जी एकमात्र लोक देवता थे, जो कवि भी थे। राम देव जी की रचना "चौबीस बाणियाँ" कहलाती है। रामदेव जी का प्रतीक चिन्ह "पगल्ये" (पत्थर पर उत्कीर्ण रामदेवजी के प्रतीक के रूप में दो पैर) है। राजस्थान का यह एकमात्र लोक देवता है जिनकी पूजा इनके पद् चिन्ह/पगल्यो के रूप...
राजस्थान के लोक देवता गोगाजी
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
राजस्थान के लोक देवता गोगाजी राजस्थान के लोक देवता गोगाजी ( गोगा बप्पा ) (11 वीं शताब्दी):- चैहान वंषीय राजपूत , जन्म स्थान चुरू का ददरेवा गांव में हुआ। पिता जेवरसिंह एवं माता बाछल देवी। लगभग 1103 ई. सन् में मेहमूद गजनवी से गायों की रक्षा करते हुए वीरगती को प्राप्त हुए। गजनवी ने इन्हें ‘‘जाहरपीर ’’ की संज्ञा दी। इन्हे सांपो के देवता के नाम से जाना जाता हैं। किसानों के द्वारा पहली बार हल जोतने पर हल और हाली को इनके नाम की राखी बांधी जाती हैं जिसे ‘‘गोगाराखड़ी ’’ कहते हैं। इनका थान खेजड़ी के वृक्ष के नीचे होता है। इनका मेला भाद्रपद कृष्णपक्ष की नवमी को गोगामेड़ी में भरता हैं। इनका प्रतीक चिन्ह नीली घोड़ी है। गोगाजी की ओल्ड़ी जालौर ( सांचैर ) में हैं। गोगाजी के अन्य मन्दिर :- गुजरात , राजस्थान , पंजाब एवं हरियाणा में हैं। धूरमेड़ी:- गोगाजी का समाधिस्थल जो गोगामेड़ी ( हनुमानगढ़ ) में स्थित हैं। शीर्षमेड़ी:- गोगाजी का जन्मस्थान जो ददरेवा में स्थित हैं।